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به پایِ خاک، سرافکندگیِّ آب کجا |
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زِ سر، کلاه براندازیِ حُباب کجا |
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برای تِشنه، به صحرایِ داغ یا که به باغ |
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تب و سراب کجا و لب و شراب کجا |
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کسی سؤال نکرد از سوارکارِ شباب |
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کجا روی زِ بَرِ ما بدین شتاب کجا |
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و یا ز دیده و از بختِ ما سؤال نکرد |
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روی به خواب چه وقت و پَری ز خواب کجا |
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دوامِ داغِ جگرسوز در تمامیِ عُمر |
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کجا و داغیِ یک لحظهِ کباب کجا |
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نوا و ناله آن آهویی که افتاده ست |
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به چنگِ گرگ کجا، ناله رُباب کجا |
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کجا تواضعِ درویش و خاکساری او |
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فقیهِ مدرسه و کِبرِ آن جَناب کجا |
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کتابیِ بَغَلِ آن کتاب زیرِ بَغل |
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کجا به صدر گِرِفتَست جا؟ کتاب کجا |
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تفاوتِ دو سخن بین ز قولِ رند و فقیه: |
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امید عفو کجا، وعدهِ عذاب کجا |
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کجاست جایِ دُرُست و درست کار به جمع |
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خرابکار «جلالی» کجا، خراب کجا |
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