۱- |
مائیم اگر هر آینه در رهگذارِ دوست |
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هستیم همچو آینه چشم انتظارِ دوست |
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۲- |
افتاده ایم دور گر از شهر و از دیار |
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شکرِ خدا شدیم مُقیمِ دیارِ دوست |
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۳- |
دنیا و هر چه هست در آن بهرِ دیگران |
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ما و شراب و شعر و نوایِ سه تارِ دوست |
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۴- |
هرگز میانِ جمع نَبُردَم حسد به کس |
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اِلّا بدان کسی که بود در کنار دوست |
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۵- |
بر هیچ خطّ و خال نینداختم نگاه |
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اِلّا به خال آن لب و نقش و نگار دوست |
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۶- |
طاووس وار، گاه خرامیدنش به باغ |
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سرو و صنوبرند رهین وقارِ دوست |
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۷- |
یک عمر، هر زمان که دلم بی قرار بود |
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بی شکّ و شبهه بود دلم بی قرار دوست |
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۸- |
جانی که برده ام به در از محنتِ فراق |
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بر کف نهاده ام که نمایم نثارِ دوست |
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۹- |
در شعر، حقِّ دوست «جلالی» ادا نشد |
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اقرارِ ضِمن بود زِ یک شرمسارِ دوست |
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