۱- |
نازنیانِ وطن ای جان به قُربانِ شما |
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جان فدایِ هر دو لعلِ شکّرافشانِ شما |
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۲- |
هر چه گشتم، هر کجا گشتم، ندیدم دلبری |
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چون شما در دِلبری، ای جان به قربان شما |
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۳- |
خُشک و کوته فکر و گمراهَند و بوقلمون صفت |
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دخترانِ غرب، چون دامانِ الوان شما |
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۴- |
هر کجا هستید اندر خاطر و یادِ منید |
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ای گرامی خاطران جانِ من و جانِ شما |
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۵- |
یادِ ما باشید، ما این جا پریشان خاطریم |
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در خیال و خاطرِ زلفِ پریشانِ شما |
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۶- |
هست این جا سینه های لُخت و لغزان، دَستمال |
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جان فدایِ سینه مُختصِّ لَرزانِ شما |
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۷- |
رنگ و بوی نافه هایِ آهویِ آزاد چر |
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نیست همچون نافهِ در بَستهِ آنِ شما |
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۸- |
تا خورَد چوگانِ دستِ ما به گویِ سینه ای |
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یادم آید گویِ روی و زُلفِ چوگان شما |
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۹- |
بهر نازِ دخترانِ شرق، می میرم به غرب |
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دَردِ من این است این جا، چیست درمان شما |
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۱۰- |
تشنه می میریم این جا در کنار نهرِ آب |
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ما که یک عُمری نمک خوردیم با نان شما |
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۱۱- |
می رساند ای کاشکی ما را به هم، دَورِ سپهر |
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دور ماندیم ار چه ما، از دور و دوران شما |
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۱۲- |
دور گشتیم اَر چه چندی بی اجازت از دیار |
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این نه نافرمانیِ ما بود و فرمانِ شما |
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۱۳- |
باز برگردد «جلالی» ای خداوندان، که ما |
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بَنده ایم و بَندی چاهِ زنخدانِ شما |
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