۱- |
اگر پیدا شوی از فرط شادی |
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برآید شور و شوق از هر نهادی |
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۲- |
شنو تا با زبون یزّی این جا |
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کنم از حال و روز خویش یادی |
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۳- |
فراقِت پیچ و تَوو اِنداخ تو جُونوم |
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دِلوم مالِش گِرِف از زورِ بادی |
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۴- |
توو روُ مردُم یَهوّو دَر رَف تِلِنگوم |
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ز بَس کَشکی زَدَم زورِ زیادی |
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۵- |
زِ مُش وازی تَنُم خیس عَرَخ شد |
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گِرِفته تَنگُم از زورِ گُشادی |
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۶- |
بیا برگرد پیشِ این مُریدِت |
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برآرُم تا که داری هر مُرادی |
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۷- |
بیا تا خِرت و پِرتِ بُنجُلِت را |
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کُنَم اَووّ من تو بازارِ کسادی |
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۸- |
«جلالی» گر بپرسندت، چه گویی |
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که از مَرزِ ادب بیرون فُتادی |
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[پیچ و تَو=پیچ و تاب] ، [اِنداخ=انداخت] ، [تو جونُم=در جانم] ، [دِلوم=دِلَم] ، [مالِش= پیچ و تاب] ، [گِرِف=گرفت] ، [زورِ بادی=فشار بادی=نفخی] ، [تو رو مردم=مقابل مردم] ، [یهوّ=یک دفعه، یک مرتبه] ، [در رف=در رفت] ، [تلنگوم=گاز از شکم من] ، [کشکی=بی سبب] ، [مش وازی=رسوایی] ، [تنم=بدن من] ، [گرفته تنگم=تنگم گرفته =شکمم برای کار کردن فشار می آورد] ، [خرت و پرت=خورد و ریز بی مصرف] ، [بُنجُل=بی فایده و بی مصرف] ، [کنم اَو=کنم آب=آب کنم=بفروشم]